Support and Resistance in Hindi: सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल्स चार्ट पर सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट लेवल्स होते है, जिन्हें जानना हर एक प्राइस एक्शन ट्रेडर के लिए कैंडलेस्टिक पेटर्न सीखने के बाद सबसे ज्यादा जरूरी होता है। सपोर्ट और रेजिस्टेंस एक ऐसी चीज है इसके बारे में अगर आप पूरी तरह से जान लेते हैं तो मार्केट चार्ट पर आप आसानी से कोई भी पैटर्न ड्रॉ कर सकते हैं।
और कोई भी पैटर्न ड्रॉ करके मार्केट को समझ सकते हैं, मार्केट पर ट्रेड कर सकते हैं और आसानी से मार्केट की फ्लो और मार्केट की कैंडलेस्टिक पेटर्न, इन सब चीजों के बारे में आप जान सकते हो।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि अगर कोई भी व्यापारी या निवेशक सपोर्ट और रेजिस्टेंस को मास्टर कर लेते हैं, तो उनके लिए ट्रेडिंग या इन्वेस्टिंग करने में बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस इतना इंपॉर्टेंट क्यों है? क्योंकि अगर आप सपोर्ट और रेजिस्टेंस को अच्छे से ड्रा करना सीख गए तो आप मार्केट के टॉप और बॉटम को ट्रेड कर सकते हैं, की हर ट्रेडर्स का सपना होता है। एसेट ट्रेड्स में बहुत बड़ी-बड़ी प्रॉफिटदेखने को मिलते हैं और उनकी विन रेट सबसे ज्यादा होती है।
इसीलिए आज हम इस आर्टिकल में सपोर्ट और रेजिस्टेंस के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, लकी सभी व्यापारी और निर्देशक के लिए हेल्पफुल होने वाले हैं। [Support and Resistance in Hindi]
समर्थन और प्रतिरोध क्या है?
समर्थन और प्रतिरोध किसी चार्ट में उसके खास मूल्य बिंदुओं को बताया गया है, जिस प्रति खरीदार और विक्रेता सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं।
समर्थन या प्रतिरोध किसी शेयर के चार्ट में 2 अलग-अलग मूल्य बिंदु होते हैं। समर्थन मूल्य चार्ट का वह मूल्य बिंदु होता है जहां से आगे विक्रेताओं के मुकाबले खरीदारों का संखा ज्यादा होने की संभावना होती है, इसीलिये शेयर का भाव समर्थन मूल्य बिंदु से ऊपर की ओर जाने की संभावना होती है।
दूसरी तरफ प्रतिरोध मूल्य की बात करें तो यह चार्ट का वह मूल्य बिंदु होता है जहां से आगे खरीदारों के मुकाबले विक्रेताओं का ज्यादा होने की संभावना होती है। इसीलिए शेयर का भाव प्रतिरोधी मूल्य बिंदु से नीचे की ओर जाने की संभावना होती है।
सपोर्ट (Support)
सपोर्ट (Support) का मतलब होता है मार्केट में नीचे की ओर एक ऐसा जोन जहां पर प्राइस दो से ज्यादा बार हिट करें, इसी को ही सपोर्ट कहा जाता है।
जब मार्केट की प्राइस नीचे की ओर आ रहा है और किसी एक बिंदु से हिट करके ऊपर जाए और फिर से इसी पॉइंट के पास आकर ऊपर जाए तब यह लाइन सपोर्ट की तरह काम करेगा। अगर प्राइस तीसरी बार भी सपोर्ट लाइन के पास आता है, तो हाई चांसेस होते हैं की मार्केट अब अपट्रेंड की और भागेगा। [Support and Resistance in Hindi]
माइनर तथा मेजर सपोर्ट लेवल्स (Minor and Major Support Levels)
जब कोई शेयर की प्राइस किसी बिंदु को सिर्फ एक बार हिट करके ऊपर चली जाती है तो उसे माइनर सपोर्ट लेवल कहा जाता है। लेकिन जब कोई शेयर की प्राइस किसी पॉइंट को बार-बार हिट करके ऊपर चली जाती है तो उसे मेजर सपोर्ट लेवल कहते हैं।
माइनर सपोर्ट लेवल में ट्रेड ना ही ले तो बेहतर है क्योंकि माइनर सपोर्ट लेवल आसानी से ब्रेक हो जाती है इसके कारण आप ट्रैप भी हो सकते हैं। जबकि मेजर सपोर्ट लेवल्स में आसानी से ब्रेक नहीं होते हैं तो उसके कारण अच्छी मूव देखने को मिलता है।
समर्थन का उपयोग (Use of Support)
ट्रेडर्स शेयर के प्रीवियस प्राइस लेवल्स को देखकर सपोर्ट लेवल्स का आईडेंटिफाई कर सकते हैं। ट्रेडर्स सपोर्ट का उपयोग करके बाइंग ऑपच्यरुनिटीज ढूंढ सकते हैं, जैसे कि अगर कोई शेयर की प्राइस सपोर्ट लेवल पर पहुंचता है तो ट्रेडर्स मांके चल सकता हैं की प्राइस अब ऊपर जा सकता है उस सपोर्ट पॉइंट से।
ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स का मानना है कि यह जो सपोर्ट लेवल होता है यह एक पॉइंट को दर्शाता है जो की किसी शेयर के प्राइस को उस पॉइंट के नीचे की ओर गिरने से रोकता है। टेक्निकल एनालिसिस में सपोर्ट एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जिसको उपयोग करके ट्रेडर्स सर्वोत्तम निर्णय ले सकते हैं। [Support and Resistance in Hindi]
सपोर्ट ब्रेकडाउन स्ट्रेटजी (Support Breakdown Strategy)
जब शेयर की प्राइस तीन बार अपने सपोर्ट को टच करने के बाद नीचे की तरफ ब्रेकडाउन दे देती है तो वहां पर प्राइस गिरने के चांसेस होते हैं और आप वहां पर शॉर्ट सेल कर सकते हैं।
तो आप चित्र में देख सकते हैं कि प्राइस ने पहली बार सपोर्ट लिया है फिर दोबारा आने के बाद प्राइस ने सपोर्ट लिया है फिर तीसरी बार भी प्राइस ने सपोर्ट लिया है लेकिन चौथी बार प्राइस ने नीचे की तरफ ब्रेकडाउन दिया है। और जैसे ही ब्रेकडाउन दिया है वहां पर आपको एक मूव देखने को मिला है।
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रेजिस्टेंस (Resistance)
रजिस्टेंस (Resistance) का मतलब होता है मार्केट में ऊपर की ओर एक ऐसा जॉन जहां पर प्राइस दो से ज्यादा बार हिट करें, इसी को ही रेजिस्टेंस कहा जाता है।
अगर मार्केट की प्राइस ऊपर की ओर जा रहा है और फिर किसी एक पॉइंट से हिट करके नीचे आए और फिर से इस बिंदु के पासजाकर नीचे आए तब यह लाइन रेजिस्टेंस की तरह काम करेगा। यहां पर भी अगर तीसरी बार प्राइस रेजिस्टेंस लाइनके पास आता है तो है चांसेस है की प्राइस यहां से अब डाउन ट्रेंड की ओर भागेगा। [Support and Resistance in Hindi]
माइनर तथा मेजर रेजिस्टेंस लेवल्स (Minor and Major Resistance Levels)
यह भी माइनर तथा मेजर सपोर्ट लेवल्स की तरह ही है, मतलब की जब कोई शेयर की कीमत किसी एक पॉइंट को हिट करके नीचे की ओर चला जाता है तो उसे माइनर रेजिस्टेंस लेवल कहते हैं।
लेकिन जब कोई शेयर की कीमत किसी बिंदु को बार-बार हिट करके नीचे की ओर चला जाता हैतो उसे मेजर रेजिस्टेंस लेवल कहते हैं। माइनर रेजिस्टेंस लेवल आसानी से ब्रेक हो जाता है लेकिन मेजर रेजिस्टेंस लेवल आसानी से ब्रेक नहीं होता है।
प्रतिरोध का उपयोग (Use of Resistance)
रेजिस्टेंस एक मूल्य स्तर को संदर्भित करता है जिस पर किसी शेयर की कीमत को बिक्री दबाव का सामना करना पड़ता है, जो इसे आगे बढ़ने से रोकता है। ट्रेडों में इंटर करने या एग्जिट करने के बारे में निर्णय लेने के लिए ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स रेजिस्टेंस लेवल्स का उपयोग करते हैं।
ट्रेडर्स पिछले मूल्य चार्ट को देखकर रेजिस्टेंस लेवल्स की पहचान करते हैं। एक रेजिस्टेंस लेवल को आम तौर पर एक निश्चित मूल्य के माध्यम से तोड़ने के कई असफल प्रयासों द्वारा चिह्नित किया जाता है।
रेजिस्टेंस लेवल्स ट्रेडर्स को बाजार की भावना और पोटेंशियल प्राइस मूवमेंट्स का अनुमान लगाने में मदद करते हैं। सफल ट्रेडिंग में अक्सर खरीद और बिक्री निर्णयों को अनुकूलित करने के लिए प्रमुख प्रतिरोध और समर्थन स्तरों की पहचान करना शामिल होता है। [Support and Resistance in Hindi]
रेजिस्टेंस ब्रेकआउट स्ट्रेटजी (Resistance Breakout Strategy)
इस स्ट्रेटजी में हम एक स्टॉक को तब खरीद सकते हैं जब शेयर की प्राइस तीन बार रेजिस्टेंस को उसको छूने के बाद ऊपर की तरफ ब्रेकआउट दे देते हैं।
यह तीन बार मिनिमम हो सकता है चार या पांच बार भी छूने के बाद ब्रेकआउट दे लेकिन अगर तीन बार छू चुका है रेजिस्टेंट को और उसके बाद उस रेजिस्टेंस को प्राइस ने ब्रेक कर दिया है तो यहां पर प्राइस बढ़ने के चांसेस होते हैं।
जैसे की इस चित्र में देख सकते हैं कि प्राइस ने सबसे पहले एक बार रेजिस्टेंस को टच किया उसके बाद दोबारा प्राइस ने बढ़ने की कोशिश की लेकिन रेजिस्टेंस लेवल के ऊपर नहीं बढ़ पाई और तीसरी बार भी कोशिश की लेकिन नहीं बढ़ पाए। लेकिन चौथी बार जब उसने रेजिस्टेंस के पास आई तो यहां पर उसने ब्रेकआउट दे दिया है और जैसे ही इसने ब्रेकआउट दिया उसके बाद देख सकते हैं कि हमें बड़ी मूव देखने को मिला है। [Support and Resistance in Hindi]
सपोर्ट और रजिस्टेंस का फार्मूला (Formula of Support & Resistance)
वैसे तो बहुत से तरीका है सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल्स को कैलकुलेट करने के, लेकिन सबसे कोमन मेथडमें से एक है जो की है पिवट पॉइंट फॉर्मूला (Pivot Point Formula). पिवट पॉइंट फॉर्मूला अपेक्षाकृत सीधा है और इसमें कई सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल्स शामिल हैं:
पीवट प्वाइंट (PP) = [हाय (High) + लो (Low) + क्लोज (Close)] / 3
पहला रेजिस्टेंस (R1) = (2 x PP) – Low
पहला सपोर्ट (S1) = (2 x PP) – High
दूसरा रेजिस्टेंस (R2) = PP + (High – Low)
दूसरा सपोर्ट (S2) = PP – (High – Low)
तीसरा रेजिस्टेंस (R3) = High + 2 x (PP – Low)
तीसरा सपोर्ट (S3) = Low – 2 x (PP – High)
सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस कैसे निकाले जाते हैं?
बहुत सारे ट्रेडर्स को सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस निकालने में दिक्कत होती है, क्योंकि उनको पता ही नहीं होता की लाइव मार्केट मेंसपोर्ट और रेजिस्टेंस को कैसे ड्रॉ करें। तो इस दिक्कत को दूर करने के लिए दो सीक्रेट टिप्स के बारे में बताएंगे जिसके मदद से कोई भी ट्रेडर आसानी से सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस निकाल सकते हैं।
टिप 1: अगर आपको सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस निकालने में दिक्कत होती है तो आप एक इंडिकेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसका नाम है (NSDT Auto Support / Auto Resistance) इस इंडिकेटर के मदद से आप बहुत ही आसानी से सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस को निकाल सकते हैं।
इसके लिए करना क्या है? आपको अपनी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ट्रेडिंग व्यू, जीरोधा इत्यादि) में जाना है और वहां पर इंडिकेटर के ऑप्शन में जाकर आपको सर्च करना है (NSDT Auto Support / Auto Resistance) और यह इंडिकेटर लगाने के बाद आपको खुद ब खुद करंट सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस मिल जाएंगे। [Support and Resistance in Hindi]
टिप 2: एक सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस आपको मार्केट में रेंज बताने के साथ-साथ अच्छे-अच्छे ट्रेड ऑपच्यरुनिटीज भी प्रोवाइड करता है। तो स्ट्रांग सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस निकालने के लिए आपको हायर टाइम फ्रेम में जाना होगा, जैसे कि आप एक दिन (1-Day) का टाइम फ्रेम इस्तेमाल कर सकते हैं।
एक दिन का टाइम फ्रेम करने के बाद, रेजिस्टेंस निकालने के लिए चार्ट को थोड़ा छोटा कर ले और फिर ऊपर की तरफ देख की मार्केट को कहां से दो या तीन बार कम से कम रेजिस्टेंस मिला है और नीचे की ओर गया है।
अब एक लाइन ड्रॉ करके उन दो या तीन जितने भी पॉइंट से उनको एक साथ जोड़ ले, जो कि आपकास्ट्रांग रेजिस्टेंस लेवल की तरह काम करेगा (चित्र में देख सकते हैं)।
अब सपोर्ट के लिए भी हम इसी तरह से लेवल्स ढूंढेंगे और एक लाइन ड्रॉ कर लेंगेजहां पर दो या तीन जितने भी पॉइंट है उनको एक साथ जोड़ लेंगे और आप जैसे की चित्र में देख सकते हैं कि कैंडल्स की जो लोअर पॉइंट है वह लगभग एक जगह है और वह एक लेवल पर मिल रहा है, तो यह आपके लिए एक स्ट्रांग सपोर्ट की तरह काम करेगा। एक बात हमेशा याद रखिए कि जितना हायर टाइम फ्रेम रहेगा उतना आपका स्ट्रांग सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस रहेगा।
बोनस टिप: अगर आप लाइव मार्केट में बेहतर तरीके से सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस निकालना चाहते हैं तो उसके लिए आपको कंटीन्यूअस लर्निंग और प्रैक्टिस की जरूरत है। जितना ज्यादा आप प्रैक्टिस करेंगे उतना ही आप मार्केट में बेहतर होते जाएंगे और सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस बी आसानी से निकाल सकेंगे। [Support and Resistance in Hindi]
सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस की विश्वसनीयता
सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस लेवल्स केवल प्राइस के मूवमेंट की संभावना का संकेत देता है लेकिन किसी भी तरह तरह से निर्दिष्ट नहीं होता है। ट्रेडर्स की विश्वसनीयता विभिन्न कारकों से प्रभावित होती है:
ट्रेडिंग वॉल्यूम
हायर वॉल्यूम और प्राइस लेवल्स के साथ सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस और भी ज्यादा मजबूत हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हायर वॉल्यूम महत्वपूर्ण रुचि का संकेत देता है।
ऐतिहासिक मान्यता
शेयर की प्राइस जितना ज्यादा बार एक पॉइंट को छूएगा मतलब की सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस लेवल को, उतना ही ज्यादा वह स्त्रोंगर और विश्वसनीय होते जाएगा।
टाइम फ्रेम्स
लोअर टाइम फ्रेम जैसे की 5 मिनट,15 मिनट, 1 ऑवर की तुलना में हायर टाइम फ्रेम्स जैसे की डेली या वीकली चार्ट टाइम फ्रेम्स पर आम तौर पर अधिक विश्वसनीय सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस लेवल्स प्रस्ताव करते हैं। लंगर टाइम फ्रेम्स मेंशोर भी काम होता है और क्लियर विजन भी होता है। [Support and Resistance in Hindi]
निष्कर्ष
सरल भाषा में बोले तो सपोर्ट और रेजिस्टेंस भी बहुत ही ज्यादा फायदेमंद टूल है, लेकिन आपको इन टूल्स पर पूरे तरीके से निर्भर नहीं रहना है। क्योंकि सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस कभी-कभी सफल भी हो सकता है। इसीलिए हर एक ट्रेडर्स को हमेशा स्टॉप-लॉस ऑर्डर्स का इस्तेमाल करना चाहिए अपनी रिस्क को मैनेज करने के लिए।
मुझे उम्मीद है कि आपको इस लेख में हमारे द्वारा बताए गए जानकारी पसंद आई होगी, ट्रेडिंग के बारे में अधिक जानने के लिए आप हमारे अन्य लेख भी पढ़ सकते हैं। अगर आपको इस विषय के रिलेटेड कोई भी जानकारी चाहिए तो आप हमें नीचे कमेंट करके भी बता सकते हैं।
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Support and Resistance in Hindi (FAQs) –
Q1. सपोर्ट लेवल क्या होता है?
सपोर्ट लेवल वह प्राइस पॉइंट होता है जहां एक स्टॉक की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और इस लेवल पर बायर्स ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं, इसीलिए उस स्टॉक की प्राइस और नीचे नहीं गिरने देती।
Q2. ट्रेडिंग में सपोर्ट जोन क्या है?
ट्रेडिंग में सपोर्ट जॉन एक ऐसी बार्डर रेंज होती है जहां किसी शेयर की कीमत गिरते वक्त उसको रोकने के लिए स्ट्रांग बायर्स एक्टिव रहते हैं। सपोर्ट जोन के वजह से बहुत फायदा मिलते हैं क्योंकि उसकी वजह से ट्रेडर्स को फ्लैक्सिबिलिटी मिलती है ताकि वह किसी बार्डर रेंज के अंदर बाइंग और सेलिंग डिसीजंस ले सकते हैं।
Q3. रेजिस्टेंस कितने प्रकार के होते हैं?
अलग-अलग ट्रेडर्स अलग-अलगरेजिस्टेंस के प्रकार को फॉलो करते हैं लेकिन आपको हम ऐसे 5 रेजिस्टेंसके प्रकार के बारे में बताएंगे:
- पैरेलल लाइन रेजिस्टेंस
- ट्रेंडलाइन रेजिस्टेंस
- मूविंग एवरेज रेजिस्टेंस
- फाइबोनैचि रिट्रेसमेंट रेजिस्टेंस
- साइकोलॉजिकल रेजिस्टेंस
Q4. प्रतिरोध का दूसरा नाम क्या है?
ट्रेडिंग में प्रतिरोध का दूसरा नाम है रेजिस्टेंस।
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