एल्गो ट्रेडिंग क्या है? | Algo Trading in Hindi

Algo Trading in Hindi

Algo Trading in Hindi: एल्गो ट्रेडिंग से आजकल के ट्रेडर्स करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। बहुत सारे ऐसे ट्रेडर्स है जिनके बारे में आप सुने ही होंगे कि उन्होंने करोड़ों रुपए बनाए हैं। क्या आपको पता है यह ट्रेडर्स इतने पैसे कहां से बनाएं? एल्गो ट्रेडिंग से।

इसमें फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स का बाइंग और सेलिंग होता है जिस की मशीन आपके लिए ढेर सारा प्रॉफिट बना कर देती है। बड़े-बड़े जो इंस्टीट्यूशंस होते हैं वह पहले सेटअप बनाते हैं और उसके बाद बैक टेस्ट करते हैंऔर फिर रियल मार्केट में डेप्लॉय करते हैं। पिछले कुछ सालों में एल्गो ट्रेडिंग का वॉल्यूम इंडियन मार्केट में काफी बढ़ चुके हैं और काफी लोग इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। 

इसीलिए आज हम इस आर्टिकल में एल्गो ट्रेडिंग होता क्या है, यह काम कैसे करती है, एल्गो ट्रेडिंग का सॉफ्टवेयर क्या है, इसको शुरू करने के लिए कौन से स्टेप्स का पालन करना होगा, इसके फायदे और नुकसान क्या है, इन सब के बारे में आज विस्तार से जानेंगे।

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क्या आपने कभी सोचा है कि यह जो बड़े-बड़े इंस्टीट्यूशंस है यह ट्रेडिंग से लाखों करोड़ों का प्रॉफिट कैसे कमाते हैं। अगर आपको नहीं पता हो तो बता देते हैं कि इसके लिए वह इस्तेमाल करते हैं एक प्रक्रिया जिसे हम कहते हैं एल्गो ट्रेडिंग

एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) टाइप का ट्रेडिंग प्रोसेस होता है जिसमें हम मैन्युअल trades को प्लेस ना करके मशीनस की या प्रोग्राम्स की मदद से अपने trades को प्लेस करते हैं। एल्गोरिथम ट्रेडिंग (Algorithm Trading) को ही शॉर्ट में एल्गो ट्रेडिंग कहा जाता है 

सबसे पहले एल्गो ट्रेडर्स यह आईडेंटिफाई करते हैं कि उच्च संभावना सेटअप (High Probability Setups) कौन से है। और उसके बाद उन सैटअप्स को बैक टेस्ट किया जाता है। एक बार बैक टेस्ट होने के बाद यह सैटअप्स को ऑटोमेटेड किया जाता है जब भी मार्केट में वह कंडीशन प्रेजेंट होती है, तो आपकी जो ट्रेड्स है वह ऑटोमेटेकली एग्जीक्यूट हो जाते हैं मशीनस या प्रोग्राम्स (Machine or Program) के द्वारा। [Algo Trading in Hindi]


एल्गो ट्रेडिंग दो शब्द से बना है Algo यानी Algorithm, मतलब किसी नियमों का सेट के बेसिस पर मैथमेटिकल ऑपरेशन (Mathematical Operation) करना। जब हम इन रूल्स का इस्तेमाल करके ट्रेडिंग करते हैं तभी इस एल्गो ट्रेडिंग कहा जाता है।

एल्गो ट्रेडिंग में टाइम, प्राइस और वॉल्यूम जैसे वैरियेबल्स के बेसिस पर एक नियमों का सेट परिभाषित करके कंप्यूटर प्रोग्राम बनाया जाता है और इसका उपयोग करके ट्रेडिंग किया जाता है। 

आपको क्या लगता है कि यह जो इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर होते हैं या यह जो हेड्स फंड्स होते हैं हमारी तरह मैन्युअल ट्रेड लेते हैं? जी बिल्कुल नहीं, इनके पास  स्पेशलाइज्ड सॉफ्टवेयर्स होते हैं जिनके मदद से अपने ट्रेड को एग्जीक्यूट करते हैं। क्योंकि इन इंस्टीट्यूशन की जो कैपिटल होती है वह बहुत ज्यादा होती है तो उनके लिए मैन्युअल ट्रेड करना पॉसिबल नहीं होता है।

इसीलिए यह लोग एल्गोरिथम का उसे करके ट्रेडिंग करते हैं। मान लीजिए आप एक ऐसा प्रोग्राम बनाते हैं जिसमें आप यह लॉजिक रखते हैं कि जब भी किसी शेयर का 50-day moving average उसके 200-day moving average को क्रॉस करेगा तो उसकी 100 यूनिट्स buy करनी है।

तो जब भी ऐसा होगा तब आपके 100 यूनिट्स एक सेकंड में ही ऑटोमेटेकली बाय हो जाएगा। इसमें एक्यूरेसी भी होगी और स्पीड भी होगी, तो जब हम ऐसे रूल्स बना लेते हैं तो यह होते हैं एल्गोरिथम और इन नियमों के आधार पर हीएल्गो ट्रेडिंग काम करती है। [Algo Trading in Hindi]


क्या आपको पता है एल्गो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? एल्गो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर को पूर्वनिर्धारित क्राइटेरिया या रणनीतियों के आधार पर वित्तीय बाजारों में ट्रेडों को स्वचालित रूप से निष्पादित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ट्रेडर्स एल्गोरिथम के द्वारा अपना स्ट्रैटेजिस डेवलप करते हैं जैसे की वॉल्यूम, प्राइस, तकनीकी संकेतक।

उसके बाद लाइव मार्केट में रणनीति का उपयोग करने से पहले उसके परफॉर्मेंस का मूल्यांकन करने के लिए ऐतिहासिक डेटा के विरुद्ध परीक्षण किया जाता है। फिर सॉफ्टवेयर APIs के माध्यम से लाइव मार्केट डेटा जैसे की वॉल्यूम, मार्केट सेंटीमेंट और प्राइस की गति एकत्र करता है।

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फिर यह एल्गोरिथम आपका डाटा को जल्द से जल्द एनालाइज करके आपके स्ट्रेटजी के हिसाब से ट्रेडिंग कंडीशंस को फुलफिल करता है। एक बार कंडीशन फुलफिल होने के बाद एल्गोरिथम बाय और सेल का ऑर्डर भेजते हैं बिना मनुष्य के। 

यह सॉफ़्टवेयर वास्तविक समय में बाज़ार की अपनी विशेषताओं और प्रदर्शन पर नज़र रखता है। एल्गो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर शेयर मार्केट में कुशलतापूर्वक व्यापार करने के लिए जटिल रणनीतियों और हाई स्पीड एग्जीक्यूशन का उपयोग करता है। यह ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को एक साथ बड़ी मात्रा में डेटा संभालने की अनुमति देता है और ऐसे नियमों के आधार पर ही यह सॉफ्टवेयर काम करती है। [Algo Trading in Hindi]


सबसे पहले एल्गो ट्रेडिंग 2008 में शुरुआत की गई थी लेकिन तब सिर्फ इंस्टीट्यूशंस के थ्रू ट्रेड करते थे। लेकिन 2016 से इसे रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए भी खोल दिया गया है और आज मार्केट में 50% से ज्यादा लिक्विडिटी आई’एल को ट्रेडिंग द्वारा ही आती है, लेकिन USA में इसका नंबर 70% है। 

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क्या आप भी एल्गो ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं? एल्गो ट्रेडिंग शुरू करने के लिए यहां step-by-step गाइड दी गई है जिसे फॉलो करके आप एक सफल एल्गो ट्रेडर बन सकते हैं:

स्टेप 1: मूल बातें समझें (Understand the Basics)

बेसिक्स में आपको समझना है कि यह सारी चीज क्या होती है और एल्गोरिथम काम कैसे करती है। और इसके साथ आपको समझना है टेक्निकल एनालिसिस, टेक्निकल इंडिकेटर्स और मार्केट ट्रेंड्स।

स्टेप 2: अपनी रणनीति परिभाषित करें (Define Your Strategy)

अपनी ट्रेडिंग स्टाइल जैसे मीन रिवर्सन (mean reversion), मोमेंटम ट्रेडिंग (momentum trading) के आधार पर रणनीति परिभाषित करें। एल्गोरिथम के साथ-साथ अपनी ट्रेडिंग स्टाइल में तकनीकी संकेतक जैसे मूविंग एवरेज, बॉलिंगर बैंड्स, MACD,RSI इत्यादि को लागू करें, ताकि आप मार्केट में बेहतर संकेत पा सके।

स्टेप 3: एक सही मंच चुनें (Choosing Right  Platform)

अपना प्लेटफॉर्म चुनें, बहुत सारे सॉफ्टवेयर्स होते हैं जो algorithm बनता है और किसी बेहतरीन कंपनी के संग जुड़े और उसे अपनी स्ट्रेटजी को बताएं। एक ऐसा ब्रोकर चुने जो आपको एल्गोरिथम ट्रेडिंग के साथ-साथ API (Application Programming Interface) भी प्रोवाइड करें। भारत में बहुत सारे को एल्गो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर उपलब्ध है जैसे की Zerodha Streak, Algo Test, Quantiply आप इनमें से कोई भी प्लेटफॉर्म चुनके एल्गो ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं। [Algo Trading in Hindi]

स्टेप 4: बैकटेस्टिंग (Backtesting)

आपकी जो स्ट्रेटजी बनती है उसकी बैकटेस्टिंग करें, यह सबसे सर्वश्रेष्ठ विशेषता माना जाता है एल्गो ट्रेडिंग का। बताए गए प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करके आप अपनी रणनीतियाँ को बैक टेस्ट कर सकते हैं, अपने एल्गोरिदम के परफॉर्मेंस का परीक्षण करने के लिए।

स्टेप 5: अनुकूलन (Optimizing)

स्ट्रेटजी को अनुकूलन करें और इसकी परफॉर्मेंस देखें लाइव मार्केट में जाकर और अपनी रिस्क को नियंत्रित करते हुए लाभ को अधिकतम करने के लिए अपने एल्गोरिदम में पैरामीटर को अनुकूलित करें।

स्टेप 6: प्रोग्रामिंग सीखें (Learn Programming)

एल्गो ट्रेडिंग के लिए कुछ प्रोग्रामिंग लैंग्वेज चुने (Python, Java,C++) और उन्हें सीखने की कोशिश करें। ट्रेडों को प्रोग्रामेटिक रूप से निष्पादित करने के लिए ब्रोकर API’s से खुद को परिचित करना सीखें।

बोनस स्टेप: मूल्यांकन और विकास करें (Evaluate & Evolve)

एल्गो ट्रेडिंग में आपको कंटीन्यूअस लर्निंग, प्रैक्टिस और हार्ड वर्क करना होगा। इसीलिए हमेशा मार्केट न्यूज़ देखें, नई-नई टेक्नोलॉजी और प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखने की कोशिश करें, ताकि आप अपने एल्गोरिदम में सुधार कर सके। [Algo Trading in Hindi]


जी हां, एल्गो ट्रेडिंग लाभदायक हो सकती है, लेकिन इसके सफलता के पीछे बहुत सारे कारण हो सकते हैं जैसे की ट्रेडर्स का एक्सपीरियंस, मार्केट की कंडीशंस, रणनीतियाँ। अच्छी तरह से डिजाइन किया गया एल्गोरिथम आपके लिए लाभदायक होता है, क्योंकि एल्गोरिदम उच्च गति से ट्रेडों को एग्जीक्यूट कर सकता है।

एल्गोरिदम अक्सर मैन्युअल ट्रेडिंग से तेज़ होते हैं और साथ-साथ बेहतर प्रदर्शन भी करता है और बाज़ार में होने वाले बदलावों पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं। एल्गोरिथम की डिजाइन अच्छी होने के कारण ट्रेडर्स अपनी रणनीतियों को ऑप्टिमाइज कर सकते हैं उन्हें कार्यान्वित करने से पहले।

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एल्गोरिथम की अच्छी डिजाइन और मेंटेनेंस के वजह से इसके लेनदेन शुल्क थोड़ा महंगा होता है, लेकिन हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडर्स के लिए यह महत्वपूर्ण बुनियादी निवेश करते हैं। एल्गो ट्रेडिंग प्रॉफिटेबल हो सकती है लेकिन इसमें सफलता की कोई गारंटी नहीं है। लेकिन अगर आप इसमें सफलता हासिल करना चाहते हैं तो आपको इसे लगातार सीखना होगा और अपने रणनीति को बेहतर बनाना होगा। [Algo Trading in Hindi]


अगर आपको एल्गो ट्रेडिंग का इस्तेमाल करने का प्रोसेस समझ आ गया है तो इसकी कुछ रणनीतियों को भी जान लेते हैं:

सबसे पहली रणनीति है सिस्टमैटिक ट्रेडिंग (systematic trading), जिसमें माइक्रो इकोनॉमिक्स फैक्टर को ध्यान में रखते हुए रणनीतियों को फ्रेम की जाती है। इसमें तकनीकी संकेतक, वॉल्यूम और रिस्क रिवॉर्ड रेशों को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में ट्रेड की जाती है जिस दिशा में मार्केट जा रहा है। इस तरीके को आमतौर पर हेड्स फंड्स इस्तेमाल करते हैं, इसीलिए अगर हम इसे ढंग तरीके से इस्तेमाल करेंगे तो हमारे लिए लाभदायक हो सकता है।

दूसरी रणनीति है लॉ ऑफ़ मीन रिवर्जन, जो एक मैथमेटिकल मॉडल है। शेयर मार्केट की भाषा में आपको यह समझना है तो इसका कहना है कि जो चीज ऊपर जाती है वह नीचे भी आती है और जो चीज नीचे है वह कभी ना कभी ऊपर भी जाती है। अगर एक शेयर की प्राइस अपने एवरेज प्राइस से नीचे है तो उसकी प्राइस ऊपर जा सकती है और अगर एक शेयर की प्राइस अपने एवरेज प्राइस से ऊपर है तो उसकी प्राइस नीचे भी जा सकती है। इस रणनीति को उपयोग करने के लिए आप मूविंग एवरेज संकेतक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। [Algo Trading in Hindi]


  • उच्च गति और सटीकता

एल्गोरिथम के जरिए जो ट्रेड प्लेस किए जाते हैं वह बहुत ज्यादा एक्यूरेट होते हैं क्योंकि यह जो ट्रेड्स है यह इंसान नहीं बल्कि कंप्यूटर प्रोग्राम प्लेस करते हैं, तो उनकी जो एक्यूरेसी है वह हमेशा ज्यादा होती है जो कि इंसान मेल नहीं खा सकता।

  • भावना-मुक्त ट्रेडिंग 

एल्गो ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसमें इमोशंस को रिमूव कर दिया जाता है, एल्गो ट्रेडिंग को ट्रेडिंग एक्यूरेसी और क्षमता को बढ़ाता है और हुमन इमोशंस को भी रिड्यूस करता है। क्योंकि आपको इसमें खुद ट्रेड लेने की जरूरत नहीं है। इसीलिए आजकल के टाइम में एल्गो ट्रेडिंग ट्रेडर्स का पसंदीदा तरीका है।

  • विविधता

एल्गोरिथम ट्रेडिंग में बड़ी संख्या में ट्रेड्स को एग्जीक्यूट किया जा सकता है जोकि इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के लिए काफी फायदेमंद है।

  • बैकटेस्टिंग

एल्गो ट्रेडिंग से कई सारे रणनीतियाँ को बैकटेस्ट किया जा सकता है, जिससे हम यह देख सकते हैं कि हमारी रणनीतियां कितनी उपयोगी है और उसके बेसिस पर एल्गोरिथम बनाकर ऑटोमेटिक प्रॉफिट क्या जा सकता है। [Algo Trading in Hindi]


  • तकनीकी समस्या

एल्गो ट्रेडिंग फुलप्रूफ नहीं है इसमें अनएक्सपेक्टेड इवेंट से ट्रेडिंग इंपैक्ट हो सकती है। जैसे की code में कोई गलती (error/404) आना या फिर सिस्टम का प्रॉपर्ली काम न करना। तकनीकी गड़बड़ियाँ के वजह से ट्रेड एग्जीक्यूट नहीं हो पता जिसकी वजह से बहुत बड़ा लॉस हो सकता है। 

  • ऐतिहासिक और गणितीय डेटा

क्योंकि यह मैथमेटिकल और हिस्टॉरिकल डाटा पर निर्भर होते हैं तो अगर मार्केट में कोई बड़ा परिवर्तन होता है जिससे शेयर की प्राइस ऊपर या नीचे हो सकती है तो इससे यह अंदाजा नहीं लग सकता, जिसके चलते आपको लॉस हो सकती है।

  • बाजार का जोखिम 

क्योंकि एल्गोरिथमइंसान के तुलना में तेजी से बहुत सारे ट्रेड्स एग्जीक्यूट कर सकते हैं, लेकिन अगर बाजारअनएक्सपेक्टेड मूव करता हैतो यह गति आपके लॉसेस की कारण भी बन सकती है।

  • तकनीकी खर्चा 

क्योंकि एल्गोरिथम अच्छे डिजाइन से बने होते हैं और इसकी मेंटेनेंस भी अच्छी होती है तो इसके चलते इसका जो तकनीकी खर्चा है वह महंगा होता है। इसके अतिरिक्त, transaction fees भी हैं जो आपके प्रॉफिट से काटते हैं।

  • प्रतियोगिता

एल्गो ट्रेंडिंग बहुत ज्यादा कॉम्पिटेटिव होता है, क्योंकि इसमें बहुत बड़े-बड़े इंस्टीट्यूशन प्लेयर्स जिनके पास वेदर डाटा और तेज एग्जीक्यूशन होते हैं। इसीलिए यह एक रिटेल ट्रेडर के लिए नुकसानदायक होता है। [Algo Trading in Hindi]


अगर आप ट्रेडिंग में नए हैं और थोड़ी बहुत कैपिटल से ट्रेड करते हैं, तो फिलहाल आपको एल्गो ट्रेडिंग की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है। लेकिन अगर आप कोई अच्छा एल्गोरिथम बनाते हैं तो इससे आपको बहुत प्रॉफिट हो सकता है,  क्योंकि इसमें सब कुछ ऑटोमेटिक हो जाएगा। 

अगर आप एल्बो ट्रेडिंग करने की सोच रहे हैं तो अपनी तरफ से यथोचित परिश्रम जरूर रखें किस इस प्लेटफार्म के जरिया आप ट्रेडिंग कर रहे हैं वह सैफ और रेगुलेटेड है या फिर नहीं। तो अंततः दोस्तों भले ही एल्गो ट्रेडिंग अभी रिटेलर्स के लिए एक नए कांसेप्ट है लेकिन धीरे-धीरे यह लोकप्रियता का रहे हैं और क्योंकि बहुत सारे ब्रोकर अपने क्लाइंट्स को ट्रेडिंग APIs प्रोवाइड कर रहे हैं जिसमें पहले से ही रणनीतियां ऑप्टिमाइज्ड है। 

तो इससे इसकी लोकप्रियता और भी ज्यादा बढ़ सकती है, लेकिन अगर आप अपनी रणनीति बनाकर एल्गो ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको या तो coding आनी चाहिए या फिर आपको कोई डेवलपर को किराए पर लेना होगा, जो कि थोड़ामुश्किल और महंगी भी है। लेकिन जैसे-जैसे मार्केट पार्टिसिपेंट्स बढ़ते जाएंगे तो इससे कास्ट स्ट्रक्चर भी काम हो जाएगा, अगर ऐसा होता है तो हम एल्गो ट्रेडिंग को फ्यूचर मैन सकते हैं।

मैं उम्मीद करता हूं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आई होगी और अगर आपको शेयर मार्केट संबंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो आप हमें नीचे कमेंट करके भी बता सकते हैं। [Algo Trading in Hindi]

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जी हां, आई’एल को ट्रेडिंग सच में काम करती है। इंसान के तुलना में एल्गो ट्रेडिंग में तेजी से ऑर्डर्स एग्जीक्यूट होते हैं, जिसके चलते बड़े-बड़े इंस्टीट्यूशन प्लेयर्स बहुत प्रॉफिट बनाते हैं।

Zerodha Streak और Algo Test सबसे अच्छा एल्बम ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर माना जाता है। क्योंकि इन सॉफ्टवेयर पर इंटरमीडिएट और एडवांस्ड लेवल के ट्रेडर्स को स्मूथली और एक अच्छा यूजर इंटरफेस के साथ अवसर देता है।

ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छे एल्गोरिदम्स है मीन रिवर्जन, हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (HTF), StarArb, etc. अंततः सबसे अच्छा एल्गोरिदम वह है जो आपकी जोखिम सहनशीलता और संसाधनों तक पहुंच के साथ गठबंधन करता है।

एल्गोरिथम ट्रेडिंग से आप बहुत ज्यादा पैसा कमा सकते हैं, इसकी कोई सीमा नहीं है। लेकिन एल्गोरिथम ट्रेडिंग से आप कितना पैसा कमा सकते हैं यह आपकी रणनीति, बाजार की स्थितियों और आपकी ट्रेडिंग पूंजी पर निर्भर करता है।

जी हां, भारत में एल्गो ट्रेडिंग लाभदायक है। बहुत सारे पेशेवर व्यापारी है जो एल्गो ट्रेडिंग से बड़ा मुनाफा कमाते हैं। एक बात का हमेशा याद रखें की आई’एल को ट्रेडिंग लाभदायक तो है, लेकिन निश्चित रूप से यह जल्दी अमीर बनने वाला ट्रेडिंग भी नहीं है। इसके लिए आपको लगातार लर्निंग, कड़ी मेहनत और एल्गोरिथम प्रोग्राम्स को सिखाते जाना होगा।

5 thoughts on “एल्गो ट्रेडिंग क्या है? | Algo Trading in Hindi”

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