CE और PE क्या होता है? | CE and PE in Share Market in Hindi

CE and PE in Share Market in Hindi

CE and PE in Share Market in Hindi: अगर आप ट्रेंडिंग की दुनिया में नए हैं तो आपको शेयर बाजार में CE और PE क्या होता है, इसको जानना जरूरी है। CE का फुल फॉर्म होता है (Call Option) और PE का फुल फॉर्म होता है (Put Option). 

जब आप किसी स्टॉक या इंडेक्स का टेक्निकल एनालिसिस करते हो और आपको लगता है कि यह स्टॉक या इंडेक्स यहां से अब ऊपर जाएगा तो आप कॉल ऑप्शन बाय करते हो और ठीक इसी तरह अगर आपको लगता है कि किसी स्टॉक या इंडेक्स का टेक्निकल एनालिसिस करने के बाद यह अब नीचे जाएगा तो आप तब पुट ऑप्शन बाय करते हो।

आज की इस लेख में आप लोग सिखाने वाले हो की CE और PE क्या होता है, इसका उपयोग कैसे करते हैं, इसकी ट्रेडिंग रणनीतियां, इन सब के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

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आसान भाषा में समझे तो कॉल को ही CE कहा जाता है जिसका फुल फॉर्म है Call European. लेकिन कहने में जल्दी और आसान लगे इसीलिए अधिकांश लोग इसको कॉल कहते हैं, जबकि इसका शॉर्ट फॉर्म है CE. 

जब मार्केट या शेयर की प्राइस ऊपर जाने वाला होता है तो उस समय ट्रेडर्स कॉल ऑप्शन या CE को खरीदने हैं। [CE and PE in Share Market in Hindi]

इसी तरह पुट को ही PE कहा जाता है जिसका फुल फॉर्म है Put European. लेकिन कहने में जल्दी और आसान लगे इसीलिए अधिकांश लोग इसे पुट कहते हैं, जबकि इसका शॉर्ट फॉर्म है PE.

जब मार्केट या शेयर की प्राइस नीचे जाने वाला होता है तो उसे समय ट्रेडर्स पुट ऑप्शन या PE को खरीदने हैं।

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उदाहरण के लिए, मान लीजिए किसी शेयर की प्राइस है ₹500 और एक ट्रेडर ने 550 रुपए के स्ट्राइक प्राइस पर 30 दिन के expiry में ₹20 प्रीमियम के साथ कॉल यानी CE खरीदता हैं। 

तब अगर शेयर की प्राइस expiry से पहले ₹600 तक जाता है तो ट्रेडर्स उससे लाभ कमा सकते हैं। ध्यान रखें कि अगर शेयर की प्राइस ₹550 से नीचे आता है और expire हो जाता है तो ट्रेडर को लॉस होता है।

ठीक इसी तरह मान लीजिए कि किसी शेयर बाजार की वर्तमान कीमत है ₹1,000 और एक ट्रेडर्स ने 1050 रुपए के स्ट्राइक प्राइस पर 30 दिन के expiry में ₹30 प्रीमियम के साथ पुट यानी PE खरीदता हैं।

तब अगर शेयर की प्राइस expiry से पहले ₹900 तक गिर जाता है तो ट्रेडर्स उससे लाभ कमा सकते हैं। ध्यान रखें कि अगर शेयर की प्राइस ₹1050 के ऊपर ही रहता है और expire हो जाता है तो ट्रेडर्स को लॉस भी हो सकता है।


जब कोई शेयर या अंडरलाइन ऐसेट की प्राइस ऊपर जाने की संभावना होती है तब ट्रेडर्स कॉल ऑप्शन यानी CE का उपयोग करते हैं। ठीक इसी तरह जब कोई शेयर या अंडरलाइन एसेट की प्राइस नीचे जाने की संभावना होती है तब ट्रेडर्स पुट ऑप्शन यानी  PE का उपयोग करते हैं।

  • ट्रेडर्स CE और PE ऑप्शंस का उपयोग करते हैं ताकि स्टॉक को सीधे खरीदने की तुलना में कम पूंजी के साथ प्राइस में उतार-चढ़ाव पर दांव लगा सके। 
  • इन्वेस्टर्स अपने पोर्टफोलियो को प्रतिकूल प्राइस उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए CE और PE का उपयोग करते हैं।
  • CE और PE ट्रेडर्स को अपेक्षाकृत छोटे इन्वेस्टमेंट के साथ बड़े पोजीशंस को नियंत्रित करने की अनुमति देते हैं। [CE and PE in Share Market in Hindi]

शेयर मार्केट में CE और PE का components है: 

डेरिवेटिव मार्केट में स्ट्राइक प्राइस एक फिक्स्ड प्राइस होती है  दिस प्राइस पर कोई भी ट्रेडर और इन्वेस्टर CE और PE को बाय/सेल करता है।

किसी पार्टिकुलर स्ट्राइक प्राइस के CE/PE ऑप्शन को खरीदने के लिए ट्रेडर्स जो कीमत चुकाता हैं उसी को ही ऑप्शन में प्रीमियम कहा जाता है। हर एक मामले में ITM ऑप्शन के प्रीमियम ज्यादा महंगे और OTM ऑप्शन के प्रीमियम ज्यादा सस्ते देखने को मिलते हैं।

एक्सपायरी डेट का मतलब है किसी पार्टिकुलर डेट पर ऑप्शन का एक्सपायर हो जाना। यह एक्सपायरी साप्ताहिक और मासिक दोनों होता है।।।।

यह एक महत्वपूर्ण अनुपात है जिसकी गणना शेयरों में व्यापार करने से पहले की जाती है। इंट्रिसिक वैल्यू शेयर का सही मूल्य दर्शाता है। यदि कोई व्यापारी शेयर को उसके आंतरिक मूल्य से कम पर खरीदता है तो यह व्यापारी के लिए अच्छा माना जाता है।

इसका मतलब होता है कि किसी अंडरलाइन एसेट की एक्सपायरी में जितना टाइम बचा हुआ है उसके आधार पर उस ऑप्शन की प्रीमियम में जो time decay होता है मतलब की time decay के कारण ऑप्शन की प्रीमियम प्राइस जितनी घट सकती है उस घटने वाली प्राइस को ही टाइम वैल्यू कहते हैं। [CE and PE in Share Market in Hindi]


CE और PE को अच्छे से अभ्यास करके नीचे दिए गए कुछ रणनीतियों को पालन करके ट्रेडिंग करते हैं तो आपके जोखिम को कम करने में और लाभ की संभावना बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

जब आप बाजार में उच्च अस्थिरता की उम्मीद करते हैं लेकिन दिशा के बारे में अनिश्चित रहते हैं तब आप CE और PE दोनों को सामान स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी में खरीद सकते है। ऐसा करने से आप सीमित जोखिम के साथ अच्छा खासा लाभ कमा सकते हैं।

जब आप मार्केट में उच्च अस्थिरता की उम्मीद करते हैं लेकिन दिशा के बारे में निश्चित नहीं रहते हैं तब आप CE और PE दोनों के अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस खरीद सकते हैं। 

कपबोर्ड कॉल रानीनिटी एक से रणनीति है जो ट्रेडर्स द्वारा व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। ट्रेडर्स इस रणनीति का इस्तेमाल इसलिए करते हैं ताकि वह स्टॉक पोर्टफोलियो से अतिरिक्त आय उत्पन्न कर सके। [CE and PE in Share Market in Hindi]


CE (कॉल)PE (पुट)
यह खरीदार को पूर्व निर्धारित मूल्य पर अंडरलाइन ऐसेट खरीदने का अधिकार देता हैयह खरीदार को अंडरलाइन ऐसेट को पूर्व निर्धारित मूल्य पर बेचने का अधिकार देता है
इसका फुल फॉर्म है कॉल यूरोपीयइसका फुल फॉर्म है पुट यूरोपीय
बुलिश बेयरिश 
ट्रेडर्स को उम्मीद होती है कि अंडरलाइन ऐसेट की कीमत बढ़ेगीट्रेडर्स को उम्मीद होती है कि अंडरलाइन ऐसेट की कीमत घटेगी 
उच्च जोखिमउच्च जोखिम 
असीमित लाभ की संभावना होती है सीमित लाभ की संभावना होती है 

CE और PE को खरीदने और बेचते समय बहुत सारे ट्रेडर्स लाभ कमाते हैं और इसके कुछ जोखिम भी होते हैं।

लिक्विडिटी: यह आपको लिक्विडिटी प्रदान करते हैं यानी एक ट्रेडर शेयर बाजार में शेयर्स को आसानी से खरीद और बेच सकते हैं।

लेवरेज: ट्रेडर्स और निवेशकों को छोटे निवेश के साथ बड़ी स्थिति को नियंत्रित करने की अनुमति देता है और लेवरेज भी प्रदान करता है।

सरल उपयोग: रिटेल इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स भी ट्रेडिंग कर सकते हैं वह भी छोटे कैपिटल के साथ।

विविधता: कोई भी स्टॉक, इंडेक्स, कंपनी को चुन के निवेश करके आप अपनी पोर्टफोलियो विविधीकरण कर सकते हो।

समय क्षय: जैसे-जैसे एक्सपायरी डेट नजदीक आता है वैसे-वैसे ऑप्शन का वैल्यू घटता जाता है।

जटिलता: ऑप्शन बहुत ही ज्यादा जटिल होता है और इसको समझाना भी मुश्किल होता है जिसके कारण बहुत सारे ट्रेडर्स गलत फैसला भी लेती है।

समाप्ति जोखिम: यदि स्टॉक की कीमत expiry से पहले स्ट्राइक प्राइस से अधिक नहीं होती है या स्ट्राइक प्राइस से नीचे नहीं आती है, तो विकल्प बेकार हो जाता है। [CE and PE in Share Market in Hindi]


शेयर बाजार में CE और PE विकल्पों को अच्छे से इस्तेमाल करते हैं तो आप इसे बड़ा लाभ कमा सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें की इन विकल्पों का सावधानी से इस्तेमाल करें क्योंकि यह जोखिमपूर्ण भी हो सकता है।

मैं आशा करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई इनफॉरमेशन आपके काम आए होगी, शेयर बाजार के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप हमारे दूसरे आर्टिकल्स भी देख सकते हैं। इस विषय के संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी चाहिए तो आप हमें नीचे कमेंट करके भी बता सकते हैं। [CE and PE in Share Market in Hindi]

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शेयर मार्केट में PE का मतलब है पुट ऑप्शन और CE का मतलब है कॉल ऑप्शन। जब हमें लगता है कि किसी शेयर या इंडेक्स की प्राइस नीचे जाएगी तब हम पुट ऑप्शन यानी PE खरीदने हैं और इसी तरह किसी शेयर या इंडेक्स की प्राइस ऊपर जाएगी तब हम कॉल ऑप्शन यानी CE खरीदने हैं।

शेयर बाजार में CE या PE में से कौन सा बेहतर है यह निर्भर करता है एक इन्वेस्टर या ट्रेडर पर और उनके ट्रेडिंग रणनीतियों पर। जब किसी ट्रेडर या इन्वेस्टर कॉल ऑप्शन के साथ जाता है तो उसे लगता है कि स्टॉक या इंडेक्स की प्राइस ऊपर जाएगा और अगर कोई ट्रेडर पुट ऑप्शन के साथ जाता है तो उसे लगता है कि स्टॉक या इंडेक्स की प्राइस नीचे जाएगा। 

PE और CE में जोखिम है प्रीमियम हानि, समय का क्षय, बाज़ार की दिशा और अस्थिरता, गलत स्ट्राइक कीमत, तरलता की चिंता, इत्यादि। यह सारे जोखिम को अच्छे से समझ के पूरी तैयारी और सावधानी से ट्रेडिंग करेंगे तो आपके लॉसेस होने के संभावना कम हो जाएंगे।

यूरोपीय शैली में CE का मतलब है कॉल ऑप्शन और यह ट्रेडर्स या इन्वेस्टर्स को अंडरलाइन ऐसेट खरीदने की अनुमति देता है। CE का मतलब है कि आप बुलिश हैं और कीमत बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं।

यूरोपीय शैली में PE का मतलब है पुट ऑप्शन और यह ट्रेडर्स या इन्वेस्टर्स को अंडरलाइन एसेट बेचने की अनुमति देता है। PE का मतलब है कि आप बेयरिश है और कीमत घटने की उम्मीद कर रहे हैं।

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