7 सर्वश्रेष्ठ जोखिम प्रबंधन रणनीतियाँ | Risk Management Strategies in Hindi

Risk Management Strategies in Hindi

Risk Management Strategies in Hindi: पिछले कुछ समय से शेयर बाजार में बहुत ज्यादा वोलैटिलिटी देखने को मिल रही है, यानी मार्केट आजकल बहुत ही आसानी से एक ही दिन में 500 से 600 पॉइंट्स तक मूव कर जाता है। इसीलिए अगर आप ऐसे मार्केट में ट्रेडिंग करते हो या फिर करने की सोच रहे हो तो जोखिम प्रबंधन की महत्व यहां पर बढ़ जाती है।

जोखिम प्रबंधन ट्रेडिंग के बुनियादी नियम है, लेकिन वोलैटिलिटी मार्केट में इस नियम का पालन करना और भी जरूरी हो जाता है। दीर्घकालिक में लगातार लाभदायक रहने के लिए ट्रेडर्स को इस व्यवस्था का पालन करना होता है। 

अगर आप एकसक्सेसफुल ट्रेडर बनना चाहते हैं तो जोखिम प्रबंधनको फॉलो करना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। इसीलिए आज की लेख के जरिए हम आपको पास ऐसे सर्वश्रेष्ठ जोखिम प्रबंधन रणनीतियों के बारे में बताने वाले हैं, ताकि आप इसमें मास्टर बन सके।

अगर हम सरल भाषा में समझे तो किसी ट्रेड में होने वाले अपने लॉस को कम से कम या फिर उसे एक लेवल तक सीमित रखते हुए अपने प्रॉफिट को संभावित लॉस से बड़ा बनाना, इसी प्रक्रिया को ही शेयर बाजार में जोखिम प्रबंधन कहा जाता है।

यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है इसीलिए इस विषय को ज्यादा जटिल करने की कोई जरूरत नहीं है। आपको सिर्फ अपने लॉस को कम से कम रखने पर फोकस करना होता है। शेयर बाजार में जोखिम प्रबंधन से ट्रेडिंग में संभावित नुकसान की पहचान करने और उसे अधिकतम करने के लिए उपयोग की जाने वाली रणनीतियों में से एक है।

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अनावश्यक नुकसान से बचने के लिए और अपने कैपिटल को बसाए रखना के लिए रिस्क मैनेजमेंट स्ट्रैटेजिस बहुत ज्यादा आवश्यक है। यहां 7 सर्वश्रेष्ठ जोखिम प्रबंधन रणनीतियों के बारे में बताए गए हैं, जिनके विचार करके आप स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग कर सकते हैं।

आप में से बहुत सारे लोग स्टॉप लॉस ऑर्डर्स के बारे में जानते हैं, लेकिन फिर भी ज्यादातर नए ट्रेडर्स स्टॉप लॉस का उपयोग इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि इनका स्टॉप लॉस बार-बार हिट हो जाता है और सोचते हैं कि इससे अच्छा हमें स्टॉप लॉस लगाना ही नहीं चाहिए। 

जिस भी ट्रेड में आप स्टॉप लॉस नहीं लगते हो उस समय सोचो कि अगर किसी न्यूज़ की वजह से मार्केट अचानक से गिर गया तो आपका पूरा कैपिटल गायब हो जाएगा।

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जबकि अगर आप स्टॉप लॉस लगाएंगे तो उस स्टॉप लॉस की वजह से भले ही आपको कुछ एक्स्ट्रा लॉस उठाने पड़ेंगे, लेकिन लॉन्ग टर्म में स्टॉप लॉस ही आपकी कैपिटल को बचाएगा और लॉन्ग टर्म तक टिकने के लिए आपको स्टॉप लॉस ऑर्डर्स लगाना ही होगा। [Risk Management Strategies in Hindi]

मान लीजिए आपने 1 लाख रुपए से ट्रेडिंग शुरू की और पहली ही ट्रेड में 50% का रिस्क ले लिया और आपका स्टॉप लॉस हिट हो गया, तो भले ही आपने यहां पर स्टॉप लॉस लगाया था लेकिन आपने 50% का रिस्क ले लिया जिसकी वजह से पहले दिन ही आपकी कैपिटल आधी हो जाएगी और इससे उस पैसों को रिकवर करना आपके लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा। 

आप उस पैसों का लॉस एक बार सह भी लोगे लेकिन इस लॉस के वजह से जो आपकाकॉन्फिडेंस टूटेगा उसको वापस लाना आपके लिए मुश्किल हो जाएगा। इसीलिए आपको अपने रिस्क को प्रबंध करने के लिए risk per trade भी तय करना होगा, यानी आप एक ट्रेड में कितना रिस्क ले सकते हो।

बड़े-बड़े ट्रेडर्स का मानना है कि आपको एक ट्रेड पर 2% से ज्यादा का रिस्क नहीं लेना चाहिए। इसका मतलब है कि अगर आप 1 लाख रुपए से ट्रेडिंग कर रहे हैं तो आपको ₹2,000 से ज्यादा रिस्क नहीं लेना है एक ही ट्रेड में। लेकिन एक बात का ध्यान रखना है कि जब आप स्टॉक में इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं तो 2% और अगर ऑप्शन ट्रेडिंग कर रहे हैं तो आप अपना रिस्क 4-5% कर सकते, क्योंकि यह बहुत ही ज्यादा वोलेटाइल होता है।

कभी भी एक ही ट्रेड में 4-5% से ज्यादा रिस्क नाल क्योंकि ऐसा करने पर आपकी कैपिटल बहुत जल्दी खत्म हो जाएगी और आपके पैसे के साथ-साथ आपका कॉन्फिडेंस भी खत्म हो जाएगा इसीलिए आपकोrisk per trade का हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। [Risk Management Strategies in Hindi]

डायवर्सिफिकेशन को अगर हम सरल शब्दों में समझे तो यह एक ऐसा निवेश है जहां आप विभिन्न क्षेत्र जैसे स्टॉक मार्केट, म्युचुअल फंड्स, बॉन्ड (Bonds), रियल एस्टेट, गोल्ड इत्यादि में निवेश करने को दर्शाता है। इसका उद्देश्य रिस्क को कम करना होता है और यह एक निवेश रणनीति है।

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बड़े-बड़े ट्रेडर्स और निवेशक का मानना है की आपको हमेशा अपनापोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड रखना है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आपका कैपिटल 1 लाख रुपए है और आप इसे निवेश करना चाहते हैं तो एक ही स्टॉक में निर्भर न रहकर आपको अलग-अलग जगह निवेश करना चाहिए।

विविधीकरण करने से आपको यह फायदा मिलता है कि अगर आप किसी एक क्षेत्र में खराब प्रदर्शन करते हैं तो यह उसकी प्रभाव को कम कर देता है। इसीलिए आप अक्सर कहते हुए सुने होंगे कि “अपने सारे के सारे अंडे एक टोकरी में न रखें”।

आपको अपनी पोजीशन का साइज उतना ही रखना है जितना आप संभाल पाओ यानी आपको एकदम से अपनी पोजीशन का साइज नहीं बढ़ाना है। उदाहरण के लिए अगर कोई ट्रेडर पहली दिन ₹10,000 से ट्रेड करता है और वह पहले ही दिन ₹2,000 कमा लेता है यानी उसकी कुल कैपिटल₹12,000 हो गई है।

तो अगले दिन उसको अपनी प्रॉफिट को अलग रख लेना चाहिए यानी दोबारा उस ₹10,000 से ही ट्रेड लेना चाहिए ना की ₹12,000 से और जब आपको बहुत अच्छा अनुभव हो जाए तभी आपको अपनी पोजीशन का साइज बढ़ाना चाहिए, वरना ज्यादातर लोग पोजीशन का साइज बढ़ने की वजह से ट्रेड को संभाल नहीं पाते हैं और कई महीने तक मेहनत करने के बाद जो कमाया होता है वह एक दिन में ही डूबा देता है।

इसीलिए जितने भी नए ट्रेडर्स है उनसे मेरी एक ही विनती है कि शुरुआत में जब आप ट्रेडिंग करते हैं तो पहले सीखने की उद्देश्य से ट्रेड करें, ना कि प्रॉफिट की पीछे मत भागे। [Risk Management Strategies in Hindi]

मान लीजिए कि आप एक ट्रेड में ₹2,000 कमाने के लिए ₹2,000 से ज्यादा का रिस्क ले रहे हो तो वह ट्रेड आपके लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। आपको हमेशा ध्यान में रखना है कि आपका रिस्क कम से कम हो और आपका जो टारगेट है वह ज्यादा से ज्यादा प्राप्त कर सके।

प्रोफेशनल ट्रेडर्स यह मानते हैं कि अगर किसी ट्रेड में 1:2 का Risk-Reward-Ratio ना मिल रहा हो तो आपको ट्रेड नहीं लेना चाहिए यानी अगर आप ₹1,000 का रिस्क ले रहे हैं तो आपको कम से कम ₹2,000 तो कमाना ही चाहिए और उसी को ही एक अच्छा ट्रेड कहलाता है।

लेकिन अगर आपको 1:2 का रिस्क रिवॉर्ड रेशों ना मिल रहा हो तो कम से कम 1:1 का रिस्क रिवॉर्ड रेशों तो आपको मिलना ही चाहिए। मतलब कि अगर आप ₹1,000 का जोखिम ले रहे हो और अगर आपका एनालिसिस सही हुआ तो आप कम से कम ₹1,000 तो कमाएंगे। 

इससे कम लाभ करने के लिए अगर आप ज्यादा पैसे का रिस्क ले रहे हो तो यह आपको लॉन्ग टर्मपर भारी पड़ सकता है, इसीलिए इस बात का हमेशा ध्यान में रखें। [Risk Management Strategies in Hindi]

हेजिंग काफी तकनीकी तरीका है और जो ठीक-ठाक कैपिटल के साथ ट्रेड करते हैं, वहीं इस तरीके का इस्तेमाल अच्छे से कर पाते हैं। हेजिंग को अगर हम सरल शब्दों में समझे तो यह एक जोखिम प्रबंधन रणनीति है जिसके जरिए आप खुद अपने ट्रेड्स को इंश्योरेंस कर सकते हैं।

अगर हम इसे उदाहरण के रूप से समझे तो; अगर आप बैंक निफ्टी में तेजी का दृश्य रखते हैं तो आप call बाय करते हैं। लेकिन आप अपनी रिस्क को कम करने के लिए दो call option के साथ एक put option बाय कर सकते हैं।

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अगर आप एक ही गलती बार-बार नहीं दोहराना चाहते हैं तो आपको जर्नलिंग करना ही होगा। मतलब अगर अपने ट्रेड लिया और उस ट्रेड में आपको प्रॉफिट हुआ तो आपको अपने जर्नल में लिखना है कि आपने ऐसा क्या किया था जिसकी वजह से आपको प्रॉफिट हुआ।

और वहीं अगर आपको किसी ट्रेड में लॉस हुआ तो उसमें भी आपको लिखना है कि आपने क्या गलती की थी जिसके वजह से आपको लॉस हुआ। क्योंकि जब तक आप जर्नल नहीं बनाएंगे तब तक आपको पता ही नहीं चलेगा कि आप क्या गलती कर रहे हैं और जब तक आपको अपनी गलती पता ही नहीं होगी तब तक आप उसे गलती को दोहराते रहोगे जिससे आपको भारी भरकम लॉस हो सकता है।

अगर आप अपना रिस्क कम करना चाहते हैं तो आपको जनरल बनाने ही होंगे। और इस जर्नल को आपको कुछ दिन बाद-बाद एनालाइज करना है कि कहां-कहां आपने गलती की है और उसको सुधारने की कोशिश करें। [Risk Management Strategies in Hindi]


तो ट्रेडर्स यह थे कुछ रणनीतियाँ जिनसे आप जोखिम प्रबंधन कर सकते हैं और दीर्घकालिक तक ट्रेडिंग से पैसे कमाने के लिए आपको जोखिम प्रबंधन करना बहुत ज्यादा जरूरी है। ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स इन सारी रणनीतियों का उपयोग करके विकास की स्थिति में रहते हुए बड़े-बड़े नुकसान से बच सकते हैं और अपने कैपिटल को भी सुरक्षित रख सकते हैं।

मैं उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल के जरिए बताया यह जानकारी आपको पसंद आई होगी, शेयर बाजार के बारे में अच्छे से समझने के लिए आप हमारे दूसरे लेख भी पढ़ सकते हैं। यदि आपको इस विषय के संबंधित अधिक जानकारी चाहिए तो आप हमें नीचे कमेंट करके बता सकते हैं। [Risk Management Strategies in Hindi]

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रिस्क मैनेजमेंट करते समय आपको सबसे पहले यह देखना है कि जब भी आप ट्रेड ले आपका जो लॉस है वह आपके कल पोर्टफोलियो का 2-3% ही होना चाहिए। दूसरी चीज आपको सिंगल ट्रेड में बहुत बड़ा अमाउंट नहीं लगना चाहिए और तीसरा आपको लेवरेज हमेशा बुद्धिमानी से चुनना है।

ट्रेडिंग में सबसे अच्छी जोखिम प्रबंधन रणनीति है पोजीशन साइजिंग। क्योंकि अगर आप पोजीशन साइजिंग और अपनी जोखिम को प्रबंधित करके चलेंगे तभी आप ट्रेंडिंग से पैसे बना पाओगे। यह आपके रिक्स को कम करता है और आपके कैपिटल को हर ट्रेड के हिसाब से बढ़ाने में मदद करता है।

ट्रेडिंग में जोखिम प्रबंधन की गणना करना बहुत ही ज्यादा आवश्यक है, क्योंकि यह आपको संभावित नुकसान को प्रबंधित करने में मदद करते हैं। अपने जोखिम प्रबंधन की गणना करने के लिए इस फार्मूला का इस्तेमाल करें: पोजीशन साइज = (कैपिटल x जोखिम प्रतिशत) / (स्टॉप लॉस राशि)।

ट्रेडिंग में 2% नियम उसे कहते हैं जब आपके पूरे कैपिटल में सिर्फ 2% से ट्रेड करते हो। मतलब कि अगर आपका कैपिटल 1 लाख रुपए है तो इसमें से सिर्फ आप दो ही परसेंट इस्तेमाल करते हो यानी ₹2000.

ट्रेडिंग के लिए जोखिम प्रबंधन का मतलब है रणनीतियों का सेट और टूल्स का उपयोग करके अपने संभावित नुकसान से बचाना और अपने कैपिटल को सुरक्षित रखना होता है। जोखिम प्रबंधन रणनीति आपको नुकसान से बचने के साथ-साथ लाभप्रदता का अनुकूलन करने का भी अनुमति देता है।

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